नीम
के पत्ते
अहाते
में पड़े
रह
जायेंगे
एक
दिन यूँ आएगा
हम
खड़े ढह जायेंगे
रातरानी
की महक
गंधियाएगी
जब आंगने
कौन
आएगा
तुम्हारे
बाजुओ को थामने
जो
हितैषी बन रहे है
सब
आधे रह जायेंगे
कल
सुबह होगी
कि
कागा पंख जब खुजलायेगा
आहटें
देंगीं सुनाई
कोई
चुप चुप आयेगा
बहुत
सा पानी बहेगा
किनारे
बह जायेगें
जब
खिलेगी नीलिमा
कचनार
के उस पद पर
गुम
नहीं होना
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