Saturday 3 August 2013

नवगीत


चाकू छुरी खुर्खुरी
कुछ भी
चाहे हॊ तलवार

कटती नहीं , कोई भी वस्तु
हुई भोंथरी धार

फिर गिलोल से कंकर आया
किसकी है गुस्ताखी
फड फड फड फड गिर तडप कर
खूना खूनी पाखी

काला पीला हरा बैगनी
नहीं छपा अखबार

शीशम नीम खजूर बकायन
ऊंचे बहुत खजूर
एक अहाते गलियारे में
लगते दूर -म- दूर

पाचन बिगड़ गया बस्ती का
खट्टी हुई डकार

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