Thursday 1 August 2013

उजड़ना



  उजड़ना
देखते-देखते
उजड गई
मेरे शहर की
पहाडियों की हरितिमा
उजड गए जलाशय
उजड गई
रंग-मंडलियां
उजड गई कविताएँ-कहानियाँ
रहीम के दोहे, कबीरा की बानियां

रोक दिया गया बहता पानी
बांध दिया गया गाडाडूब
कहाँ बच पाए पटपड़े
कहाँ बच पाई वह दूब

फफोलों सी उठती कॉलोनियां
लील गई है सब खेत-खेतार
रानी हिंडोले से
खंडार के खटोले से
कुशाली दर्रे
या भैरों दरा से
कहा से आये
इस शहर में कुविचार

टेसू वनांचलों से
सुन्दरतम रहा मेरा शहर
पंचसितारा होटलों
भू माफियाओ की अटकलों से
उधड रहा है
सवाई माधोपुर है मेरा शहर
उजड रहा है

No comments:

Post a Comment