दुनियांदारी और जिन्दगी में
आये लाखों इंशा
सबसे प्यारी सबसे न्यारी
अच्छी सच्ची मेरी माँ
कौन सहेगा अंधड़ बारिश
ठिठुरन ,जकड़न और तपन
चक्करघिन्नी हुई फिर्किनी
कोसों दूरी रखे थकन
खानाबदोश जिनका जीवन
बनते उनके कहाँ मकां
तरह तरह की बात सुनाई
सिखलाये ,जज्बात ,मुझे
रही दहकती राख हो गई
सुलझाये उलझे धागे
चूल्हा चौका जातन बर्तन
रस्सी मटकी और कुआँ
लालन पालन से पोसण त़क
कर्म भूमि में वह आई
दूर देश जब गया कमाने
उसकी ममता ललचाई
अपने हिस्से रहे उजाले
माँ के आँगन रहा धुंआ
आये लाखों इंशा
सबसे प्यारी सबसे न्यारी
अच्छी सच्ची मेरी माँ
कौन सहेगा अंधड़ बारिश
ठिठुरन ,जकड़न और तपन
चक्करघिन्नी हुई फिर्किनी
कोसों दूरी रखे थकन
खानाबदोश जिनका जीवन
बनते उनके कहाँ मकां
तरह तरह की बात सुनाई
सिखलाये ,जज्बात ,मुझे
रही दहकती राख हो गई
सुलझाये उलझे धागे
चूल्हा चौका जातन बर्तन
रस्सी मटकी और कुआँ
लालन पालन से पोसण त़क
कर्म भूमि में वह आई
दूर देश जब गया कमाने
उसकी ममता ललचाई
अपने हिस्से रहे उजाले
माँ के आँगन रहा धुंआ
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