Sunday 4 August 2013

गौरी कुछ दोहे


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तेरी नीम बेहोशियाँ और ये नीम हकीम
गौरी दर्दे देह की ,हुई नहीं तरमीम /

गौरी तेरी भ्रकुटियाँ तरकश ,तीर ,कमान
मोहित होकर गिर गया पाखी लहूलुहान /

गौरी तेरी रागिनी ,बजता हुआ सितार
रंग रसीले लोग है ,आबैठे भिनसार /

गौरी तेरे गाँव में पीपल नीम बबूल
मै राही मरूदेश का राह गया हूँ भूल /

गौरी हम तुमको गए बहुत दिन बीत
हमें सुनादो बांसुरी ,पहले जैसे गीत

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