Saturday 3 August 2013

जाने-अनजाने

कोई खिलता है फूल
कभी कभी दिखताहै
जहाज का मस्तूल
उड़ने लगती है धूल

जाने अनजाने
मिलता है
कोई मकबूल
................
मिलती है दो राहें
मिलती है दो निगाहे

जाने अनजाने
मिलती है दो चाहे
.................
पकता है दल पर
कोई फल
लिखी जाती है
कोई खानी गदल
जाने अनजाने
मिलता है
मंमोहक्पल
खिलता है
मनुष्यता को सहेजता
शहस्त्र दल कमल
....................
कभी आता है
इच्छित इतवार
लहरता है
हितेश व्यास का
लहरदार
कोई थाम लेता है
पतवार
जाने अनजाने
हो जाता है प्यार
....................

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